उत्तराखंड में ग्राम पंचायतें होगी हाईटेक, निदेशक पंचायतीराज निधि यादव ने दिए आदेश, अब ग्राम पंचायत कार्यालय में बैठेंगे VPDO
उत्तराखंड में सभी ग्राम पंचायतों का होगा कम्प्यूटरीकरण – निदेशक पंचायतीराज निधि यादव
देहरादून : निदेशक पंचायतीराज निधि यादव (Director Panchayati Raj Nidhi Yadav) के निर्देशन में उत्तराखंड पंचायतीराज विभाग नित नये नये आयाम स्थपित कर रहा है । पंचायतो में ट्रेनिंग हो या फिर कार्य पारदर्शिता सभी में पंचायतीराज विभाग तेजी से आगे बढ़ रहा है । आज हम डिजिटल इण्डिया की जब बात करते है तो उसमें कई बड़ी बड़ी बातें सुनने या देखने को प्रायः मिल ही जाती है । आज हम निदेशक पंचायतीराज निधि यादव (Director Panchayati Raj Nidhi Yadav) के निर्देशन में उत्तराखंड प्रदेश के पंचायतों को हाईटेक होते जब देखते है तो डिजिटल इण्डिया का सपना साकार होता नजर आता है । प्रदेश की 7853 ग्राम पंचायतों के लिए खुशखबरी है । पंचायतीराज विभाग प्रदेश 13 जिलो के 95 ब्लॉक की हर पंचायत को कंप्यूटर (COMPUTER), यूपीएस और प्रिंटर सहित अन्य सामग्री की खरीद के लिए धनराशि उपलब्ध करा रहा है।
आपको बताते चलें कि पंचायतीराज विभाग से राज्य की हर ग्राम पंचायत को कंप्यूटर मिलने के बाद उसके कामकाज में बदलाव होना तय माना जा रहा है। अभी ग्राम पंचायतों में कामकाज मैनुअल ही किया जा रहा है। एक ओर केंद्र सरकार और उसकी तर्ज पर आगे कदम बढ़ा रही राज्य सरकार अपने तंत्र को डिजिटाइज करने की मुहिम में जुटी है।
निदेशक पंचायतीराज निधि यादव (Director Panchayati Raj Nidhi Yadav) ने बताया कि उत्तराखंड प्रदेश में 1000 पंचायत भवनों को कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया है, जिससे पंचायतों के ऑनलाईन कार्यों के निष्पादन में सुविधा हो गई है। साथ ही जन सामान्य को दी जाने वाली सेवाओं की प्रदायिगी में अत्यन्त तेजी से सुधार हुआ है। इसके अलावा राज्य सेक्टर योजना तथा राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजना के अन्तर्गत 500-500, अर्थात् कुल 1000 ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर (COMPUTER) की स्थापना हेतु आवश्यक प्रक्रिया गतिमान है। सभी पंचायतों के कम्प्यूटरीकरण के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 की राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की कार्य योजना में यथोचित् प्रस्ताव तैयार कर पंचायतीराज मंत्रालय, भारत सरकार से अनुरोध किये जाने का निर्णय लिया गया है।
निदेशक पंचायतीराज निधि यादव (Director Panchayati Raj Nidhi Yadav) ने बताया कि ITDA (INFORMATION TECHNOLOGY DEVELOPMENT AGENCY) उत्तराखंड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार ग्राम पंचायत स्तर पर कम्प्यूटर खरीदे जा रहे हैं । अभी तक प्रदेश के समस्त 95 विकासखंडो को पुर्णतः कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया हैं । इसके साथ ही अभी तक प्रदेश की 1000 ग्राम पंचायतों का भी कम्प्यूटरीकरण हो गया है । अब ग्रामीणों की समस्याओं का ग्राम पंचायत कार्यालय से ही निस्तारण किया जा सकेगा । ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को ग्राम पंचायत कार्यालय में बैठने के आदेश दिए गये हैं । उन्होंने बताया कि प्रदेश की शेष समस्त ग्राम पंचायतों को भी जल्द ही कम्प्यूटरीकृत कर दिया जायेगा ।
निदेशक पंचायतीराज निधि यादव (Director Panchayati Raj Nidhi Yadav) ने पंचायतीराज विभाग ने गांवों में ग्राम पंचायतों की स्थापना कराने के साथ ही पंचायतों का कंप्यूटरीकरण सहित अन्य व्यवस्था कर रही है। जिसके बाद ग्राम पंचायत की विकास योजना बनाने से लेकर बिलों का भुगतान कराने के लिए साइबर कैफे, विकासखंड स्तर पर लगे कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग नही करना पड़ेगा । ग्राम पंचायत स्तर से ही सभी कार्यों का सम्पादन हो सकेगा।
निदेशक पंचायतीराज निधि यादव (Director Panchayati Raj Nidhi Yadav) ने बताया कि पंचायतीराज विभाग हर पंचायत को एक कंप्यूटर देने जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों को कम्प्यूटर (COMPUTER) खरीदने के लिए धनराशि दी जा रही हैं। प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों का कम्प्यूटरीकरण करने की कवायद शुरू की जा चुकी है। पंचायतों को भी इस दिशा में आगे बढ़ाया जा रहा है। कंप्यूटरीकरण होने से पंचायतों में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों, परिवार रजिस्टर, निर्माण कार्यों समेत तमाम योजनाओं का ब्योरा दुरुस्त रखने में मदद मिलेगी।
निदेशक पंचायतीराज निधि यादव (Director Panchayati Raj Nidhi Yadav) ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश की समस्त पंचायतों की सम्पतियों की जियो टैगिंग (Geo Tagging) करायी जा रही है । जियो टैगिंग (Geo Tagging) से पंचायतों की सम्पत्ति की भौगोलिक स्थिति, फोटो, मैप और वीडियो के जरिए सटीक जानकारी प्राप्त होगी । जियो टैगिंग से अक्षांश व देशांतर से उस जगह की लोकेशन जानी जाती है। इससे गूगल मैप देखकर जगह का आसानी से पता किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य चीजें भी इससे जोड़ी जा सकती हैं। अब पंचायतों के तहत निर्माण कार्यों की भी जियो टैंगिंग हो रही है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि कार्य की क्या स्थिति है और कितना धन खर्च हो रहा है। इससे फर्जीवाड़ा नहीं हो पाएगा।
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