कोटद्वार में फर्जी वित्तीय कंपनी का पुलिस ने किया भंडाफोड़ पुलिस ने मुख्य संचालक को गिरफ्तार कर भेजा सलाखों के पीछे

कोटद्वार में फर्जी वित्तीय कंपनी का पुलिस ने किया भंडाफोड़ पुलिस ने मुख्य संचालक को गिरफ्तार कर भेजा सलाखों के पीछे

दिनांक : 2025-12-10 15:26:00

कोटद्वार। गत वर्ष 5 सितंबर को कोटद्वार निवासी यास्मीन द्वारा कोतवाली कोटद्वार में तहरीर दी गई जिसमें बताया गया कि सितम्बर 2023 से सितम्बर 2024 तक बोहरा कंपनी के डायरेक्टर भीम सिंह के कहने पर उसने कंपनी में एक वर्ष की अवधि हेतु खाता खोलकर 100 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से कुल 36,500 रुपए जमा किए। यास्मीन द्वारा आरोप लगाया गया कि निर्धारित समय पूर्ण होने के पश्चात भी कंपनी द्वारा पूर्ण ब्याज सहित धनराशि वापिस नहीं की गई तथा कंपनी के संचालकों द्वारा ऑफिस बंद कर धोखाधड़ी की गई।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी सर्वेश पंवार द्वारा आम जनमानस के साथ हो रही आर्थिक धोखाधड़ी की घटनाओं को गम्भीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई करने एवं अभियुक्तों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए जाने पर अपर पुलिस अधीक्षक कोटद्वार चन्द्रमोहन सिंह एवं क्षेत्राधिकारी कोटद्वार निहारिका सेमवाल के पर्यवेक्षण व प्रभारी निरीक्षक कोटद्वार रमेश तनवार के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया गया। जांच में प्रकाश आया कि उक्त कंपनी द्वारा कोटद्वार क्षेत्र सहित राज्य के अन्य जगहों पर भी कई लोगों से भी इसी प्रकार के खाते खुलवाकर लाखों रुपये जमा कराए गए। कंपनी ब्याज सहित मूल रकम लौटाने का झूठा झांसा देकर फरार हो गई। धोखाधड़ी के चलते कंपनी मालिक के विरूद्ध जनपद देहरादून व टिहरी में पहले भी धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं।
पुलिस टीम द्वारा मुख्य अभियुक्त विनोद विहार, श्यामपुर, ऋषिकेश निवासी दिलीप सिंह बोहरा पुत्र बल बहादुर को देहरादून से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में अभियुक्त द्वारा बताया गया कि उसके अन्य साथियों भीम सिंह, प्यारे राम, बालकरण, सुरेंद्र सिंह नेगी एवं सूरजमनी सेमवाल आदि द्वारा मिलकर बोहरा ग्रामीण विकास निधि लिमिटेड नामक कंपनी खोली गई थी। उक्त कंपनी मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स भारत सरकार में रजिस्टर्ड अवश्य थी, किंतु नियमानुसार कंपनी को जनता से धनराशि एकत्रित करने, आरडी, एफडी अथवा अन्य जमा योजनाएं संचालित करने का कोई वैध अधिकार प्राप्त नहीं था। इसके उपरांत भी कंपनी के सदस्यों द्वारा जनता के बीच पासबुक जारी कर धोखाधड़ी से धन जमा कराया जाता रहा जो अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। अन्य नामजद अभियुक्त फरार चल रहे हैं जिनकी गिरफ्तारी हेतु पुलिस टीम द्वारा जगह-जगह दबिश दी जा रही है ।पुलिस टीम में उपनिरीक्षक अनिल चौहान, अपर उपनिरीक्षक अहसान अली सीआईयू, मुख्य आरक्षी शशिकांत त्यागी, आरक्षी गंभीर सीआईयू शामिल थे।

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