धामेश्वर में स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिंग
कुसमरा। गांव धमियांपुर के धामेश्वरधाम मंदिर में सैकड़ों वर्ष पूर्व शिवलिंग जमीन से स्वयं प्रकट हुआ था। वहीं यहां बड़ी संख्या में साधु तपस्या में लीन रहते थे। इस मंदिर पर कई प्रांतों से प्रति वर्ष हजारों भक्त कांवड़ चढ़ाने आते हैं। इसके चलते शिवरात्रि पर मेले का आयोजन होता है।
स्थानीय धामेश्वर धाम मंदिर शिव भक्तों में खास पहचान रखता है। मंदिर के बारे में किवदंती है कि दो फीट का शिवलिंग स्वयं जमीन से निकला था। तब यह स्थान वीरान था। लोगों ने शिवलिंग को अन्य स्थान पर स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुए। जानकारी के बाद जंगल में साधु तपस्या करने आए। साधुओं की इस तपस्थली पर करीब ढाई सौ वर्ष पूर्व ग्रामीणों ने मंदिर का निर्माण कराया था। कलांतर में यह जीर्णशीर्ण हो गया। इस मंदिर को पुन: 1950 में स्थापित करने में श्रीश्री 1008 रामलला जी महाराज का योगदान रहा है। उन्होंने इस मंदिर के लिए 165 बीघा भूमि भी सुरक्षित कराई। यहां वर्षों से मेले का आयोजन होता रहा है। यह मेला 15 दिनों तक चलता है। परंपरा के मुताबिक गंगा स्नान करके हजारों शिव भक्त शिवरात्रि के समय यहां कांवड़ चढ़ाने आते हैं। मंदिर के महंत अयोध्यानाथ बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु कांवड़ चढ़ाते हैं।