चमोली : कांग्रेस ने धामी सरकार के चार साल के कार्यकाल को बताया नाकामी भरा

चमोली : कांग्रेस ने धामी सरकार के चार साल के कार्यकाल को बताया नाकामी भरा

दिनांक : 2025-07-10 00:28:00

गोपेश्वर (चमोली)। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर  सिंह धामी के चार वर्षों के कार्यकाल को नाकामी भरा बताते हुए कहा कि झूठे प्रचार के बल पर उन्होंने जनता को गुमराह ही किया है।

चमोली जिला कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आनंद सिंह पंवार, दशोली ब्लॉक अध्यक्ष गोविंद सजवाण, नगराध्यक्ष योगेंद्र बिष्ट, वार्ड प्रभारी मदन लोहानी, पीसीसी सदस्य अरविंद नेगी, जगत सिंह बिष्ट गोर्वधन टम्टा, शिवलाल आर्य, गिरीश आर्य आदि ने मुख्यमंत्री के चार साल के कार्यकाल को विफलताओं भरा बताया है। कांग्रेस नेताओं द्वारा जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया है कि सरकार की नाकामी, जन  विरोधी नीतियों के कारण आम जनता त्रस्त है। भाजपा सरकार के चार साल के कार्यकाल विफलताओं को उजागर करती है। बेरोजगारी और पलायन में बेतहाशा वृद्धि हुई है। महिला  महिला अपराधों में उत्तराखंड शीर्ष पर पहुंच गया है। यह कानून व्यवस्था के लिहाज से धामी सरकार की विफलता को दर्शाता है। चारधाम यात्रा में तीर्थ यात्रियों की रिकॉर्ड मौतें हुई है।  सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें इसी कार्यकाल में हुईं। यूसीसी (समान नागरिक संहिता) का सबसे पहला उल्लंघन भाजपा के पूर्व विधायक ने ही किया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सरकार खूद अपने बनाए कानूनों का पालन करवाने में  विफल साबित हो रही है।

कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर केदारनाथ धाम की मर्यादा भंग करने का आरोप लगाया है। कहा कि मंदिर की प्रतिकृति दिल्ली में बनवाना इस बात को सिद्ध करता है कि इस पौराणिक धाम की महत्ता से सरकार का कोई लेना देना नहीं है। खनन और भू-माफियाओं को संरक्षण, भाजपा नेताओं के विरोध के बावजूद, नदियों की खुली लूट को नहीं रोका गया। भर्ती घोटाले और युवा विरोधी रवैये के चलते युवाओं के भविष्य से क्रूर मज़ाक किया गया। उपनल, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की उपेक्षा और पुरानी पेंशन योजना की बहाली न करने से कर्मचारी विरोधी रवैया भी सरकार ने प्रदर्शित किया है। निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और मलिन बस्तियों को उजाड कर कांग्रेस सरकार की नियमितीकरण की नीति को दरकिनार कर गरीबों को बेघर किया गया। धार्मिक ध्रुवीकरण के ज़रिए समाज को बांटने का प्रयास किया गया। इससे  सामाजिक सौहार्द बुरी तरह प्रभावित हुआ। स्वास्थ्य और शिक्षा की दुर्दशा, महिलाओं को शौचालय में प्रसव और विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी से बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।

 

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