पर्यवेक्षकों के कांग्रेस जिलाध्यक्ष चयन को छूट रहे पसीने

पर्यवेक्षकों के कांग्रेस जिलाध्यक्ष चयन को छूट रहे पसीने

दिनांक : 2025-09-16 02:04:00

गोपेश्वर (चमोली)। चमोली कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद के लिए दो दर्जन से अधिक की दावेदारी से हाईकमान के सामने चयन की चुनौती आ खड़ी हो गई है। इसके चलते कांग्रेस पर्यवेक्षकों के पसीने छूटने लगे हैं।

दरअसल कांग्रेस आलाकमान ने ब्लॉक, नगर तथा जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर कांग्रेस संगठन सृजन अभियान की पहली बार शुरूआत की है। कांग्रेस पहली बार संगठन पर फोकस करने जा रही है। जिलाध्यक्ष पद के लिए 26 दावेदारों ने दावेदारी पेश की है। इसके चलते कांग्रेस के रणनीतिकारों के सामने किसी एक का चयन करना बड़ी चुनौती बन गया है। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में दावेदारी सामने आने से गुटबाजी को बढ़ावा मिलने की आशंका जताई जा रही है। इसके चलते कांग्रेस के रणनीतिकार कार्यकर्ताओं से रायसुमारी कर किसी एक समर्पित कार्यकर्ता के चयन में जुटे हुए हैं।

एआईसीसी की पर्यवेक्षक व उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता आराधना मिश्रा के नेतृत्व में पीसीसी पर्यवेक्षक व पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण, बदरीनाथ विधायक लखपत बुटोला, थराली के पूर्व विधायक डा. जीतराम, जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष राजेंद्र भंडारी, जखोली के पूर्व प्रमुख प्रदीप थपलियाल तथा जिलाध्यक्ष मुकेश नेगी चमोली जिले के नगर तथा ब्लॉक कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच रायसुमारी कर किसी उपयुक्त नाम को अंतिम रूप देने की कवायद में जुटे हुए हैं। पहले तक कार्यकर्ताओं की रायसुमारी के बजाय पीसीसी से ही जिलाध्यक्ष को नियुक्त किया जाता रहा है। इस बार संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्ष पद के लिए कार्यकर्ताओं के बीच जाकर पर्यवेक्षक रायसुमारी कर रहे हैं।

चमोली जिले में तो दावेदारों की बाढ़ सी आ गई है। विपक्षी कांग्रेस के रणनीतिकारों को इतनी बड़ी संख्या में दावेदारी की कोई उम्मीद नहीं थी। हालांकि कांग्रेस के रणनीतिकार कह रहे है कि इतनी बड़ी संख्या में दावेदारी आना शुभसंकेत के रूप में देखा जा सकता है। ऐसा इसलिए कि विपक्ष में रहते हुए इतनी ब़ड़ी सख्या में किसी भी दल में दावेदारी नहीं आती है। इस बार तो दावेदारों की बाढ़ आने स ेअब किसी एक नाम को फाइनल करना चुनौती बन गया है। हालांकि कतिपय विश्लेषकों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में दावेदारी आने से गुटबाजी को बढ़ावा मिलेगा। एक दूसरे को पछाडने के लिए ही बड़ी संख्या में दावेदारी आई है। वैसे भी कांग्रेस अब तक अपनों से ही मात खाती रही है। हालिया निकाय तथा पंचायत चुनाव में हाथ पर आई जीत कांग्रेस के हाथों से निकल गई। इस तरह की स्थिति से कांग्रेस के रणनीतिकार हैरान परेशान हैं। इसके चलते आगामी 2027 में होने जा रहे विधान सभा चुनाव को  लेकर कांग्रेस आलाकमान फूंक-फूंक कर चल रहा है। कार्यकर्ताओं से पर्यवेक्षकों की रायसुमारी को इसी रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि एआईसीसी की पर्यवेक्षक आराधना मिश्रा का मानना है कि बड़ी संख्या में दावेदारी कांग्रेस संगठन के लिए उत्साह का संकेत है। उनका कहना है कि नगर तथा ब्लॉक स्तरीय कार्यकर्ताओं से रायसुमारी के बाद विधान सभावार रायसुमारी होगी। इसके बाद जिला स्तरीय बैठक में दावेदारों की समीक्षा करने के बाद दावेदारों का पैनल तैयार कर ही हाईकमान किसी एक नाम पर अंतिम मुहर लगाएगा।

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