हाईकोर्ट की सख्ती : देहरादून नगर निगम में होर्डिंग-यूनिपोल घोटाले की होगी जांच, कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर की याचिका पर राज्य सरकार से मांगा जवाब

दिनांक : 2025-07-01 11:46:00
नैनीताल/देहरादून : देहरादून नगर निगम में बीते 10 वर्षों से होर्डिंग और यूनिपोल टेंडर प्रक्रिया में कथित भ्रष्टाचार और 300 करोड़ रुपये के संभावित कार्टेल “खेल” के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, नगर निगम और जिलाधिकारी देहरादून से 3 सप्ताह में जवाब तलब किया है। यह कार्यवाही कांग्रेस प्रवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर की गई।
माननीय मुख्य न्यायाधीश नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक माहरा की संयुक्त पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि नगर निगम देहरादून में 2013 से 2023 तक होर्डिंग-यूनिपोल टेंडरों में हुई अनियमितताओं की जांच आवश्यक है। कोर्ट ने इस मुद्दे को “गंभीर भ्रष्टाचार का विषय” मानते हुए 21 जुलाई 2025 को अगली सुनवाई तय की है।
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने कोर्ट को बताया कि 2019 में नगर निगम ने खुद की एक सर्वे कमेटी के माध्यम से 325 अवैध होर्डिंग की पहचान की थी, लेकिन आज तक यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वो अवैध होर्डिंग किसने बेचे? क्या वही तीन कंपनियां थीं जिन्हें वर्षों तक टेंडर दिए जाते रहे या उनकी सहयोगी फर्में थीं?
थापर का आरोप है कि भाजपा के शासनकाल में नगर निगम की मिलीभगत से एक संभावित कार्टेल ने होर्डिंग-यूनिपोल व्यवसाय पर कब्जा कर लिया और इससे राज्य को करोड़ों रुपये की राजस्व हानि हुई। उन्होंने कहा कि 11 अगस्त 2023 को दी गई शिकायत के बावजूद अब तक किसी भी तरह की निष्पक्ष जांच शुरू नहीं की गई।
“हमने सरकार को नगर निगम की रिपोर्ट पर 4 सप्ताह में कार्यवाही के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने रिपोर्ट दाखिल किए बिना ही जांच को बंद करवा दिया,” याचिकाकर्ता अभिनव थापर।
थापर ने हाईकोर्ट की इस कार्यवाही को “जनहित की बड़ी जीत” करार देते हुए कहा कि अब राज्य सरकार और नगर निगम को 300 करोड़ रुपये के संभावित घोटाले पर अदालत को जवाब देना ही होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि इस कार्रवाई के बाद नगर निगम को हुए राजस्व नुकसान की वसूली सुनिश्चित की जाएगी।
अधिवक्ता अभिजय नेगी ने जानकारी दी कि अदालत ने इस जनहित याचिका को गंभीरता से लिया है और अब सरकार, नगर निगम व जिलाधिकारी देहरादून को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करना अनिवार्य होगा।